मांगलिक दोष क्या है मांगलिक होना कब वरदान बन जाता है?

**मंगलिक होना कब वरदान बन जाता है?

वैदिक ज्योतिष में मंगल दोष की सही समझ और इसका सकारात्मक पक्ष क्या होता है!

भारतीय ज्योतिष में ‘मंगलिक दोष’ या ‘मंगल दोष’ को लेकर लोगों में कई भ्रांतियां और डर व्याप्त हैं। आम धारणा यही है कि यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष हो, तो विवाह जीवन में समस्याएं आती हैं। परंतु क्या यह पूरी सच्चाई है? क्या वास्तव में मंगलिक होना सिर्फ अशुभ ही होता है? या फिर कुछ विशेष परिस्थितियों में यह दोष एक वरदान भी बन सकता है? आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी इस लेख के माध्यम से विस्तार पूर्वक आपको जानकारी देने जा रहे है कि मंगल दोष क्या है, इसके प्रभाव कैसे होते हैं, और किन स्थितियों में यह एक वरदान के रूप में कार्य करता है।

**मंगलिक दोष क्या होता है?

वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को ऊर्जा, साहस, आत्मबल, पराक्रम और युद्ध का कारक माना गया है। जब जन्म कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो उसे मंगलिक दोष कहा जाता है। इसे कुज दोष या भौम दोष भी कहा जाता है।

**प्रभावित भावों का महत्व:**

* पहला भाव: आत्मा, शरीर, व्यक्तित्व

* चौथा भाव:

सुख, गृहस्थ जीवन

* सातवां भाव: विवाह और जीवनसाथी

* आठवां भाव: आयु, गुप्त बातें

* बारहवां भाव: व्यय, मोक्ष, शय्या सुख

इन भावों में मंगल की उपस्थिति व्यक्ति के जीवन में तीव्रता और उग्रता ला सकती है, जिससे विशेषकर वैवाहिक जीवन में असंतुलन की स्थिति बन सकती है।

*मंगल दोष के कारण कई प्रकार की भ्रांतिया भी है |

समाज में यह मान्यता है कि मंगलिक व्यक्ति का विवाह अगर गैर-मंगलिक से हो तो जीवनसाथी की मृत्यु या दांपत्य जीवन में क्लेश हो सकता है। इस वजह से कई विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिए जाते हैं, और विशेषकर महिलाओं को इसके चलते सामाजिक अस्वीकार्यता का सामना करना पड़ता है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि विवाह जैसे फैसले पर कुंडली मिलान कराना आवश्यक होता हैं|

मंगल दोष की बात करें तो वास्तव में यह दोष हर कुंडली में एक जैसा प्रभाव नहीं डालता। दोष की तीव्रता, अन्य ग्रहों की दृष्टि, राशि स्वामी की स्थिति और कुंडली में बचे हुए योगों के आधार पर इसके परिणाम बदल सकते हैं।

 

मंगल दोष के सकारात्मक पहलू के बारे मे जान लेते हैं, कब बनता है यह वरदान?

अब आइए जानें वे परिस्थितियाँ जब मंगलिक होना अभिशाप नहीं, बल्कि वरदान सिद्ध होता है:

**1. उच्च स्थिति में मंगल — शक्ति और नेतृत्व का प्रतीक*

यदि मंगल मेष, वृश्चिक या मकर राशि में हो, और विशेषकर दशम भाव में या केंद्र त्रिकोण में हो, तो यह अत्यंत शुभ फलदायक बनता है। यह व्यक्ति को नेतृत्व क्षमता, साहस, निर्णय शक्ति और विजेता स्वभाव देता है। ऐसे लोग सेना, पुलिस, प्रशासन, इंजीनियरिंग, खेल और राजनीति में सफलता प्राप्त करते हैं।

उदाहरण: कई सफल सैन्य अधिकारी, एथलीट, और उद्यमी जन्म कुंडली में मंगलिक होते हैं।

**2. मंगल का दृष्टि योग अन्य दोषों को समाप्त करता है**

अगर मंगल की दृष्टि से चंद्रमा, बुध या शुक्र जैसे ग्रह प्रभावित हो रहे हों, और वे शुभ भावों में हों, तो यह भावनात्मक दृढ़ता, बुद्धिमत्ता और आकर्षण को बढ़ाता है। यह एक उच्च कार्यक्षमता वाला संयोजन होता है।

**3. दो मंगलिकों का विवाह दोष का परस्पर संतुलन**

ज्योतिष के अनुसार, यदि दोनों वर-वधू मंगलिक हों, तो यह दोष एक-दूसरे को संतुलित करता है। उनके बीच उग्रता या टकराव की स्थिति नहीं रहती बल्कि ऊर्जा एकरूप होकर विवाह को स्थायित्व देती है।

इसलिए मंगलिक होना उन दोनों के लिए वरदान बन जाता है, जो समान दोष के साथ विवाह कर रहे हों।

**4. मंगल ग्रह शुभ योगों से युक्त हो**

अगर मंगल ग्रह राज योग, धन योग या पंच महापुरुष योग* जैसे शुभ योगों का निर्माण कर रहा हो, तो मंगल दोष नहीं माना जाता। ऐसे में व्यक्ति को वैवाहिक जीवन के अलावा अन्य क्षेत्रों में अद्वितीय सफलता मिलती है।

**5. सप्तम भाव का बलवान होना**

यदि विवाह का कारक सप्तम भाव और उसका स्वामी मजबूत हो, और शुक्र तथा गुरु ग्रह शुभ स्थिति में हों, तो मंगल दोष के दुष्प्रभाव नगण्य हो जाते हैं। यह व्यक्ति को विवाह में सामंजस्य और दीर्घायु संबंध देता है।

**6. कुंडली मिलान में गुणों का अधिक होना**

कभी-कभी वर-वधू की कुंडली में गुण मिलान 30 से ऊपर होता है, लेकिन सिर्फ मंगल दोष की वजह से विवाह नहीं किया जाता। जबकि गुण मिलान और चंद्र कुंडली का मेल अधिक महत्वपूर्ण होता है। ऐसे मामलों में ज्योतिषीय सलाह से यह स्पष्ट किया जा सकता है कि मंगल दोष व्यवहार में कोई बाधा नहीं बन रहा।

 

*उपाय और शांति के तरीके ,दोष को वरदान में कैसे बदल सकते है

यदि कुंडली में मंगल दोष है, और वह वास्तविक रूप से हानिकारक है, तो नीचे दिए गए उपाय उसे संतुलित कर सकते हैं|

* मंगल ग्रह के बीज मंत्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का जाप करें।

* मंगलवार को व्रत रखें और हनुमान जी की उपासना करें।

* रक्तदान करें या गरीबों को लाल वस्त्र दान करें।

* “मंगल दोष निवारण यंत्र” को धारण करें।

* कुंभ विवाह, पीपल विवाह आदि वैदिक उपाय भी कुछ मामलों में सुझाए जाते हैं (विशेषकर कन्याओं के लिए)।

 

कई प्रसिद्ध नेता, अभिनेता, और खेल जगत के सितारे मंगलिक रहे हैं। उनकी ऊर्जा, आत्मबल और निर्णायक स्वभाव ने उन्हें ऊँचाइयों तक पहुँचाया। यह इस बात का प्रमाण है कि यदि मंगल दोष सकारात्मक रूप में कार्य करे, तो वह जीवन का बड़ा वरदान बन सकता है।

मंगलिक होना न तो हमेशा दोष है और न ही यह किसी की वैवाहिक या सामाजिक सफलता को रोकता है। यह एक ग्रह स्थिति है, जो उपयुक्त परिस्थितियों में बहुत शक्ति और सफलता भी दे सकती है। सही ज्योतिषीय विश्लेषण, विवेक और समझदारी से काम लिया जाए तो मंगल दोष भी जीवन के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है।

संदेश यही है डर से नहीं, ज्ञान से निर्णय लें।

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